आज
मुख्यतया दो बातें गौर करने वाली है. बातें होती भी गौर करने के लिए ही है. पर फिर
भी कुछ बातें होती है जिसको और बातों से ज्यादा गौर करा जाता है.
१) प्रधानमंत्री ने हमले की कड़े
शब्दों में निंदा की:
अब
हमारे प्रधानमंत्री ठहरे बुजुर्ग. इस उम्र में शब्दों में ही कड़कपन आ जाये वही
काफी है. तो बात हुई यह की पाकिस्तान ने फिर हरकत करते हुए कल भारतीयों सैनिको पर
हमला कर दिया. अब कुछ मंत्रियो की माने तो सैनिक होते ही हमला करवाने के लिए है.
अब वो भी गलत नहीं है. सैनिक अगर अपनी करनी पर आ गए तो पाकिस्तानी सैनिको को दौड़ा
दौड़ा कर मारेंगे. पर उस से हमारे आदरणीय नेता जी का सेकुलरिज्म खतरे में पद
जायेगा. तो हमारे नेता जी ने सेकुलरवाद क नाड़े को यथावाद tight रखते हुए सैनिको को
ही मरने के लिए बोल दिया.
खेर
बात हुई की आज वाले हमले में सैनिक मारे गए. कोई नयी बात नहीं थी. सब लोगो ने अपने
पुराने format में आज की दिनांक और स्थान को बदल कर निंदा कर ही दी. अब पुराने
format में निंदा करने के भी अनेक फायदे है.
एक
तो लोगो को पता होता है की नेता जी क्या कहने वाले है. दूसरा यह की पत्रकार अगर
नयी निंदा miss भी कर देता है तो उसे पक्का पता है की छापना क्या है.
खेर
प्रधानमंत्री जी ने भी कड़े शब्दों मे निंदा कर दी. करनी भी थी. वो ठहेरे देश के
प्रधान मंत्री. प्रधान मंत्री जी कुछ बोले या न बोले अब लोगो को तो उम्मीद लगी ही
रहती है की प्रधान मंत्री जी कुछ बोलेंगे.
खेर
कई बार प्रधान मंत्री जी भी सोचते होंगे की यह निंदा पुरानी निंदा से ज्यादा कठोर
न हो जाये. अगर ऐसा होता है तो कही आतंकवादी ही यह न कहने लगे की आपकी निंदा पिछली
निंदा से ज्यादा कठोर थी. हम इस निंदा की निंदा करते है.
खेर
जो भी है. देश तो निंदा सुन कर ही प्रधान मंत्री जी से खुश रहता है. उनको कम से कम
निंदा सुन ने के बाद लगता तो है की देश में कोई प्रधान मंत्री भी है.
२) अब बात आती है दूसरी वाली बात.
देखा जाये तो यह बात भी ऊपर वाली बात जैसी ही है.
हुआ
यु की आदरणीय सदेव युवा वीर श्री श्री राहुल गाँधी जी ने कहा की जो सरकार कर रही है
वो गलत है. खेर न्यूज़ देखने के बाद मुझे लगा की शायद वो nigeria, Afghanistan या
किसी अन्य मुल्क की बात कर रहे है. पर २ मिनट न्यूज़ सुन ने के बाद लगा की अरे यह
तो अपनी ही भारत सरकार की निंदा कर रहे है.
फिर
मैंने google की १५वि वर्षगाठ पर google खोल कर देखा कही राहुल जी ने गलती से
भाजपा तो नहीं ज्वाइन कर ली है न. पर वैसा भी कुछ नहीं हुआ. अब स्तिथि चिंता जनक
बन गयी थी. राहुल गाँधी जी कही black मूवी के अमिताभ की तरह भूलने की बीमारी से तो
ग्रसित नहीं है न. या उन्होंने आज विश्व की सर्वश्रेष्ठ फुकने वाली चीज को फुक कर
तो भाषण नहीं दे दिया न.
अब
हुआ यु की कल सरकार ने एक अध्यादेश पास करवा दिया. करवाती भी क्यों न. जितने भी
secular निति के चलते कांग्रेस को सपोर्ट करने वाले दल है सभी को उस अध्यादेश से
बहुत लाभ मिलना था. सो सबको बचाते हुए कांग्रेस ने अपने को भी बचा लिया. बस राहुल
गाँधी जी के लिए लिखने वाले को लगा यह मुद्दा अच्छा रहेगा. राहुल जी अपनी औज्श्वी
वाणी से बोलेंगे तो बात पत्थर की लकीर बन जाएगी. बस उसने लिख दिया और राहुल जी ने
आव देखा न ताव बोल ही दिया.
ऐसा
नहीं है की राहुल जी ने पहली बार ऐसा क्रन्तिकारी भाषण दिया. कुछ लोगो की माने तो
वो लोग सब काम काज छोड़ कर जैसे ही राहुल जी TV पर आते है राहुल जी को ही सुन ने लग
जाते है. कुछ लोग ट्विटर पर, फेसबुक पर क्या update करना है उसके लिए नोट्स तक
बनाते है. अब ऐसा क्रन्तिकारी नेता पैदा भी १००००-२०००० में एक ही बार है. अंतिम
बार कब हुआ था आज तक किसी को नहीं पता.
तो
यह तो थी आज की मुख्या २ घटनाये. यह घटनाये मुख्या क्यों है यह भी दिलचस्प है.
भाजपा समर्थक कांग्रेस और राहुल जी के खिलाफ बोलने लगते है. और कांग्रेस समर्थक जैसा
नंगा बच्चा टॉयलेट से आने के बाद अपने को ढकने की कोशिश करता है वैसे ही कांग्रेस
वाले अपने को बचाने की कोशिश करते है.